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घूमकर एक बार तू, पूर्व में तो देख

सुख दुख तो है, जिन्दगी के दो हिस्से । इस हकीकत को भला, भूल गये क्यों तुम बन्दे ॥ सुख को तो, बहुत प्यार किया। अब दुःख को, गले लगा ले बन्दे ॥ सुख की तरह ये, दु:ख भी कट जायेंगे। बदलती ऋतुओ से, तू कुछ सीख ले बन्दे ॥ पश्चिम में जो, सूरज डूब गया । उसके लिए क्यों तूम, दु:खी हो रहे बन्दे ॥ घूमकर एक बार तू, पूर्व में तो देख । वही सूरज लालिमा बिछाए, खडा है स्वागत में तुम्हारे बन्दे ॥