सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पतंग : चिडिया की उड़ान से हवाई जहाज तक का सफर

हजारो वर्षो से मनुष्य पक्षी को उड़ता देखता आया है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन मे एक बार पक्षी की तरह उड़ने की इच्छा जरुर होती है । इतिहास इसकी गवाही देता है कि आकाश मे उड़ता पतंग विमान का पूर्वज है।
पतंगा उडाना , पेंच लडाना तथा कटता पतंग देखकर आन्नद लुटने तक ही आज हम पतंग को जानते है। लेकिन पतंग की मात्र यही कहानी नही है, पतंग का रोचक इतिहास करीब २००० हजार साल पुराना है। सबसे पहली किसने पतंग बनाई और उडाई इसका कोई इतिहास नही मिलता है। लेकिन लोगो का मानना है कि चाइनीज किसान ने हवा मे उड़ती अपनी टोपी को डोरी से बाँध कर हवा मे लहराया था, तब से पतंग की शुरुआत हो गई। ई.सन.पूर्व दूसरी सदी से द्वितिय विश्व युद्ध तक पतंगो का विविध रूप से उपयोग के प्रमाण मिलते है। पतंग का उपयोग जासूसी करने , दुश्मन पर हमला करने , बिना घोडो के गाडी चलाने मे तो कही बोट को चलाने मे तो कही लोगो ने मछली पकड़ने मे इसका उपयोग किया। माना जाता है कि पतंग चीन से बौद्घ साधुओ के साथ जापान गया और फिर दक्षिण - पश्चिम वर्मा, मलेशिया , इंडोनेशिया होते हुए भारत मे पहुंचा।

भारत मे पतंग के बारे १३वी सदी से १९वी सदी के संतो और कवियों के पदों मे उल्लेख तथा १८वी सदी से १९वी सदी मे लघु चित्रों मे पतंग उड़यन के चित्र मिलते है। संत नामदेव ने पतंग के लिए ' गुड्डी ' शब्द प्रयोग किया, तो मराठी कवि संत एकनाथ ने एवं तुकाराम ने ' वावडी ' शब्द प्रयोग किया था। कवि मंझन ने पहली बार पतंग के लिए पतंग शब्द का प्रयोग किया था। जापान के एक शब्दकोश मे पतंग के लिए ' शिरोशी ' शब्द मिलता है। जिसमे 'शि' का अर्थ कागज तथा 'रोशी' का अर्थ पक्षी होता है अर्थात कागज का पक्षी। ई सन १२८२ मे मार्को पोलो ने मानव सहित पतंग उडाने के जोखिम और पतंग उडाने की पद्घति का सचोट वर्णन किया हैपतंग के उपयोग के बारे में कई रोचक बाते है। ई. स. पूर्व २०० में हानवंश के लीयू पांग ने सेना पर भय पैदा करने के लिए हयुआन येन्ग ने पतंग उडाया था। तो चीन के हेइस ने महल से सेना का अंतर पता लगाने पतंग का उपयोग किया। पांचवी से छट्टी सदी में चीन ने सेना के संकेतों के लिए इसका उपयोग किया। ई.स. ६०० में कोरिया के युद्ध में एक शाम तारा टुटा , इसे देख कर सेना ने अपने लिए अपशकुन माना और हताश हो गए। उनके जनरल जीम यु सीन ने जलाता गोला पतंग के साथ जलता गोला बांध कर उड़ाकर सैनिको को आभास कराया कि अपशकुन तारा वापस आ गया है। इससे सैनिको में नैतिक जोश आ गया।
चीन के विख्यात सर्जक हेअ ने गाता पतंग बनाकर उड़ाया कोरिया में गोरयो वंश में एक विख्यात सेनापति ने दुशमनों के किलो पर जलता गोला डालने पतंग का उपयोग किया। १७४७ में एलेक्जाइनडर ने पतंग उडा कर अलग- अलग ऊंचाई पर तापमान नापने का प्रयोग किया। तो बेनजामीन फ्रेंकलीन ने पतंग उडा कर यह सिद्ध किया कि यांत्रिक रूप से पैदा बिजली और आकाश में चमकती बिजली एक ही है। इस प्रयोग के बाद फ्रांस, जर्मन, इटाली और अमेरिका में सिन्गलिंग युद्ध में, टेलीग्राफी, युद्धविराम और जीवनरक्षा के लिए पतंग का उपयोग किया गया। इसके बाद इंजन वाले उड्डयन को वेग मिला। जयपुर के महाराजा खास पर्व पर पतंग उडाते थे, जिसमे ढाई तोले की सोने या चांदी की घुघरी बांधते और पतंगो के पेच लगाते थे। सोने की घुघरी वाली कटी पतंग जिसके हाथ में आती उसके साल भर का खुराकी निकल जाती थी।
इन्डोनेशिया और पोलीनेशिया इत्यादि में मछली पकडने के लिये पतंग का उपयोग होता था। ब्रिटेन के ए. डी. आर्चिबाल्ड ने पतंग में एनोमोमीटर बांध कर २०० से १५०० फ़ुट उन्चाई तक पतंग उडाई थी। सन १८७७ में मौसम का अध्ययन करने पतंग पर कैमरा लटकाकर पहली बार हवाई फोटो लिये गये। १८८८ में न्युजर्सी के बायोन के पत्रकार विलियन ए.डी. ने पतंग मे कैमरा लटकाकर फोटोग्राफी कर काफी प्रसिद्धि प्राप्त की। १८०४ में विमान विघा के पिता ज्योर्ज केली ने प्रयोगात्मक ग्लाइडर बनाने ऊंची कमान वाला पतंग बनाया। इसके १४ साल बाद दुनिया का प्रथम ग्लाइडर अस्तित्व मे आया।
१८२२ मे ज्योर्ज पॉकोक ने ८ जनवरी को फोलिन्ग पतंगों द्वारा ’चार वॉलन्ट’ नाम की घोडे बिना की गाडी मे चार से पांच मुसाफिरों को बैठाकर २० किमी की गति से चलाया।

स्वीट्जरलैंड के कॉलांडोन ने १८४४ मे १५ पाउन्ड के पुतले को कुर्सी मे बैठाकर ६५६ फुट की ऊंचाई पर उडाया। १८७० मे पेरिस के तस्करो ने शहर के किले की दीवार के ऊपर से छुपाकर शराब लाने के लिये पतंग का उपयोग किया। १८७० मे ऑस्ट्रेलिया के लॉरेन्स हाग्रेव ने मानव रहित उड्ड्यन मे रुचि ली और विविध आकार के पेटी पतंग बनाए। जिसने २० वीं सदी में विमान के विकास महत्वपुर्ण योगदान दिया। इसके बाद राइट बन्धुओ ने इसकी सहायता से विमान का निर्माण किया।

१८९६ में न्य्योर्क ट्रीब्युन वाइज ने मेनहटन मे अखबार के टावर से पतंग उडाकर अमेरिका के प्रमुख के चुनावी परिणाम घोषित किये। जिसे हर कोई देख सके। १९०६ में सेम्युअल फ्रेन्कलिन कोडी ने पतंग द्वारा ३७०० फुट की ऊंचाई पर लेफ्ट्नन्ट ग्रोसली को उडाकर ले गये थे।

टिप्पणियाँ